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पार्श्वनाथ मंदिर, खजुराहो  

पार्श्वनाथ मंदिर, खजुराहो
विवरण 'पार्श्वनाथ मंदिर' मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध जैन पर्यटन स्थलों में से एक है। यह मंदिर खजुराहो में बने जैन मंदिरों की श्रेणी में सबसे ऊपर है।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला छतरपुर
निर्माता राजा धंग
निर्माण काल 950 ई. से 970 ई. के मध्य।
प्रसिद्धि जैन धार्मिक स्थल।
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि।
खजुराहो हवाई अड्डा
खजुराहो रेलवे स्टेशन
बस अड्डा
संबंधित लेख मध्य प्रदेश, जैन धर्म, आदिनाथ मंदिर शैली यह मंदिर चंदेल शासकों की शैली का है, जिसमें अलंकरण सौंदर्य तथा प्रतिमाऑं की सौम्यता दृष्ट्व्य होती है।
अन्य जानकारी पार्श्वनाथ मंदिर की मूर्तियों में नारी के सौंदर्य को निखारा गया है। इसमें वह आकर्षण में चतुर दिखाई पड़ती हैं। मंदिर में प्रवेश करने के लिए सप्तशाखायुक्त द्वार बनाए गए हैं।

पार्श्वनाथ मंदिर मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध जैन धार्मिक स्थलों में से एक है। मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में स्थित है, भारत के खूबसूरत मंदिरों का नगर 'खजुराहो', जो संसार भर में अपनी उत्कृष्ट कला के लिए जाना जाता है। खजुराहो एक छोटा-सा क़स्बा है, परंतु विश्व के मानचित्र में इसने अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। यहाँ के मंदिरों में पूर्वी समूह के अंतर्गत आने वाला 'पार्श्वनाथ मन्दिर' बहुत महत्त्वपूर्ण है।

निर्माण काल

मंदिर से प्राप्त अभिलेख साक्ष्यों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 950 ई. से 970 ई. के मध्य का माना गया है, जिसे यशोवर्मन के पुत्र राजा धंग के शासन काल के समय में बनवाया गया था। पार्श्वनाथ मंदिर के निर्माण में बहुत समय लगा था। वर्तमान समय में मंदिर के कुछ भाग खराब हो चुके हैं। जैसे की यह एक ऊँची जगती पर बना हुआ है, लेकिन उस स्थान की कारीगरी एवं सज्जा में अब ज्यादा कुछ बचा नहीं है, पर फिर भी यहाँ पर देखने को बहुत कुछ है। जिसमें से मंदिर के प्रमुख भागों में मंडप, अंतराल तथा गर्भगृह निर्मित हैं, जिनके पास परिक्रमा मार्ग का निर्माण भी हो रखा है। मंदिर मंडप की सज्जा में मूर्तियों की बहुलता देखी जा सकती है, जो उसकी सुंदरता को निखारती हैं।[१]

शैली

पार्श्वनाथ मंदिर को देखकर इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि उस समय कि निर्माण कला अपने शिखर पर रही होगी। यह मंदिर चंदेल शासकों की शैली का है, जिसमें अलंकरण सौंदर्य तथा प्रतिमाऑं की सौम्यता दृष्ट्व्य होती है। पार्श्वनाथ मंदिर का निर्माण काल दसवीं शताब्दी के मध्य का माना जाता है, जो राजा की धार्मिक प्रवृत्ति एवं उसके समर्पण भाव का प्रतिनिधित्व करता है। मंदिर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर को समर्पित किया गया है। खजुराहो के लगभग सभी मंदिर अपनी एक अलग पहचान रखते हैं। यहाँ निर्मित सभी मंदिर भारतीय कला के परिचारक हैं।

मन्दिर स्थापत्य

यह मंदिर भारत में सबसे ज़्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक एवं प्रमुख स्थान है। पार्श्वनाथ मंदिर भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला का बेजोड़ नमूना रहा है, जिसकी मिसाल कहीं और देखने को नहीं मिलती। इसकी उत्कृष्ठ बनावट एवं निर्माण शैली से यह मंदिर एक जीवंत रूप में दिखाई पड़ता है। यह कला की एक नायाब मिसाल है। यह मंदिर अलंकृत मंदिरों की श्रेणी में आता है, जिसकी वजह से यह देश के बेहतरीन मध्यकालीन स्मारकों में से एक भी है। चंदेल वंश के शासकों ने यहाँ निर्मित सभी मंदिरों को बहुत ही खूबसूरती के साथ बनवाया था, जो उनकी वैभवशीलता के प्रतीक बने और जिन्होंने इस वंश को इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया।[१]

पार्श्वनाथ मंदिर खजुराहो में बने जैन मंदिरों की श्रेणी में सबसे ऊपर है तथा यहां जितने भी जैन मंदिर बने हैं, उन सब में यह सबसे विशाल एवं सुंदर माना जाता है। मंदिर अपनी साधरणता में भी एक अलग आकर्षण लिए हुए है, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग करती है। पार्श्वनाथ मंदिर भू-विन्यास में सभी अन्य मंदिरों से विशिष्ट है। इसमें किसी भी प्रकार का वातायन नहीं है। पूर्वी समूह के अंतर्गत आने वाला पार्श्वनाथ मंदिर काफ़ी चौड़ा है। यह मंदिर एक विशाल जगती पर निर्मित किया गया है। मंदिर में जैन धर्म के प्रवर्तक आदिनाथ की प्रतिमा स्थापित की गई थी, परंतु वर्तमान में स्थित पार्श्वनाथ प्रतिमा उन्नीसवीं शताब्दी की है। यह जैन मंदिर आदिनाथ जी को समर्पित है।

महत्व

पार्श्वनाथ मन्दिर अपनी निर्माण कला एवं अपनी कलाकृतियों के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। यहाँ के सभी मंदिरों में अपनी महत्ता को दर्शाता पार्श्वनाथ मंदिर विश्व धरोहर भी है। इसके चारों ओर अनगिनत प्रतिमाएँ निर्मित हैं। यह सभी प्रतिमाएँ सूक्ष्म रूप से तराशी गई हैं। पार्श्वनाथ मंदिर की मूर्तियों में नारी के सौंदर्य को निखारा गया है। इसमें वह आकर्षण में चतुर दिखाई पड़ती हैं। मंदिर में प्रवेश करने के लिए सप्तशाखायुक्त द्वार बनाए गए हैं, जिन पर महीन कारीगरी की गई है, जिसमें पुष्पों के चित्र, व्यालों, मिथुनों, बेलबूटों, गंगा और कूमवाहिनी यमुना की आकृतियाँ बनाई हुईं हैं। मंदिर के अंदर उत्कीर्ण की गई मूर्तियों में विभिन्न मुद्राओं में गंधर्व, यक्ष, मंजीरा, शंख, मृदंग तथा वाद्य बजाते हुए देवियों को देखा जा सकता है। मंदिर में शैव तथा वैष्णव प्रतिमाओं के उत्कृण होने से यह धर्म के प्रति उनके समभाव को दर्शाता है।[१]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. १.० १.१ १.२ पार्श्वनाथ मंदिर (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 02 नवम्बर, 2013।

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