दुर्गा भाभी की क्रांतिकारी गविविधियाँ  

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दुर्गा भाभी की क्रांतिकारी गविविधियाँ
पूरा नाम दुर्गावती देवी
जन्म 7 अक्टूबर, 1907
जन्म भूमि शहजादपुर, इलाहाबाद, 1999
मृत्यु 15 अक्टूबर, 1999
मृत्यु स्थान गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश
अभिभावक पिता- पंडित बांके बिहारी
पति/पत्नी भगवतीचरण बोहरा
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि भारतीय क्रांतिकारी
धर्म हिन्दू
संबंधित लेख भगवतीचरण बोहरा, भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद
अन्य जानकारी 'असेम्बली बम कांड' के बाद भगतसिंह आदि क्रांतिकारी गिरफ्तार हो गए थे। दुर्गा भाभी ने उन्हें छुड़ाने के लिए वकील को पैसे देने की खातिर अपने सारे गहने बेच दिए। तीन हज़ार रुपए वकील को दिए। फिर महात्मा गाँधी से भी अपील की कि भगतसिंह और बाकी क्रांतिकारियों के लिए कुछ करें।

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दुर्गा भाभी विषय सूची

क्रांतिकारी भगवतीचरण बोहरा के साथ विवाह हो जाने के बाद दुर्गा भाभी शीघ्र ही वे अपने पति के कार्यों में सहयोग देने लगी थीं। उनका घर क्रांतिकारियों का आश्रयस्थल था। वे सभी का आदर करतीं, स्नेहपूर्वक उनका सेवा-सत्कार करतीं। इसलिए सभी क्रांतिकारी उन्हें 'भाभी' कहने लगे थे और यही उनका नाम प्रसिद्ध हो गया। अपने क्रांतिकारी जीवन में दुर्गा भाभी ने खतरा मोल लेकर कई बड़े काम किये। उनमें सबसे बड़ा काम था- लाहौर में लाला लाजपत राय पर लाठी बरसाने वाले सांडर्स पर गोली चलाने के बाद भगतसिंह को कोलकाता पहुँचाना।

भगवतीचरण बोहरा का साथ

दुर्गा भाभी के पति क्रांतिकारियों के संगठन 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन' के मास्टर ब्रेन प्रोफ़ेसर भगवतीचरण बोहरा थे। उनको ना सिर्फ बम बनाने में महारथ हासिल थी बल्कि वह अपने संगठन के ब्रेन भी कहे जाते थे। भगतसिंह के संगठन 'नौजवान भारत सभा' का घोषणापत्र भगवतीचरण जी ने ही तैयार किया था। जब चंद्रशेखर आज़ाद की अगुआई में 'हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन' के रूप में दिल्ली के फ़िरोज़शाह कोटला मैदान में फिर से गठन हुआ, तो भगवती को ही उसके प्रचार की जिम्मेदारी दी गई। संगठन के घोषणापत्र को भी भगवती जी ने ही चंद्रशेखर आज़ाद के सहयोग से तैयार किया, जो कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में जमकर बांटा गया और पढ़ा गया। महात्मा गाँधी और उनकी अहिंसा की नीतियों में भरोसे के बावजूद तमाम कांग्रेसी नेता इन क्रांतिकारियों को काफ़ी पसंद करते थे।

जब आगरा से आते वक्त लॉर्ड इरविन की स्पेशल ट्रेन पर बम फेंका गया तो पूरी योजना भगवतीचरण बोहरा की थी। यशपाल का बम रखने में अहम रोल था। गुस्से में महात्मा गाँधी ने समाचार पत्र ‘यंग इंडिया’ के 2 जनवरी के एडीशन में एक आर्टीकल लिखा- ‘कल्ट ऑफ़ बम’, जिसमें गांधी जी ने बम समेत तमाम हिंसावादी तरीकों की आलोचना की। उन्होंने बम जैसे तरीकों से मिली आज़ादी पर सवाल उठाए। ऐसे तरीकों को कायरतापूर्ण बताया। गांधी जी सब के लिए पूज्य थे। उन पर सीधे कोई सवाल नहीं उठाता था, लेकिन भगवतीचरण बोहरा ने तथ्यों के आधार पर पहली बार गांधी जी को जवाब देने की ठान ही ली। चंद्रशेखर आज़ाद ने भी इस जवाब को तैयार करने में उनकी मदद की। उस लेख का नाम रखा गया- ‘फिलॉसफी ऑफ़ बम’, जिसमें लिखा था-

दुर्गा भाभी की प्रतिमा

"There is no crime that Britain has not committed in India. Deliberate misrule has reduced us to paupers, has ‘bled us white’. As a race and a people we stand dishonoured and outraged. Do people still expect us to forget and to forgive? We shall have our revenge – a people’s righteous revenge on the tyrant. Let cowards fall back and cringe for compromise and peace. We ask not for mercy and we give no quarter. Ours is a war to the end – to Victory or Death".

दुर्गा भाभी ऐसे माहौल में रह रही थीं तो उनके विचारों में भी क्रांति का प्रभाव आना ही था। वह भी अपने पति भगवतीचरण बोहरा से बम बनाना सीख गईं। संगठन के एक सदस्य विमल प्रसाद जैन ने कुतुब रोड, दिल्ली में हिमालयन टॉयलेट्स नाम से एक फैक्ट्री खोल रखी थी, जो असल में बम बनाने की फैक्ट्री थी, जहां दुर्गा और उनके पति बम बनाने में सहयोग करते थे।

क्रांतिकारियों की सहायका

9 अक्टूबर, 1930 को दुर्गा भाभी. ने गवर्नर हैली पर गोली चला दी थी, जिसमें गवर्नर हैली तो बच गया, लेकिन सैनिक अधिकारी टेलर घायल हो गया। मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी दुर्गा भाभी ने गोली मारी, जिसके परिणाम स्वरूप अंग्रेज़ पुलिस उनके पीछे पड़ गई थी। मुंबई के एक कमरे से दुर्गा भाभी व साथी यशपाल को गिरफ्तार कर लिया गया। दुर्गा भाभी का काम साथी क्रांतिकारियों के लिए राजस्थान से पिस्तौल लाना व ले जाना था। चंद्रशेखर आज़ाद ने अंग्रेज़ों से लड़ते वक्त जिस पिस्तौल से खुद को गोली मारी थी, उसे दुर्गा भाभी ने ही लाकर उन्हें दिया था। उस समय भी दुर्गा भाभी उनके साथ ही थीं। उन्होंने पिस्तौल चलाने का प्रशिक्षण लाहौरकानपुर में लिया था।


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