सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम[१]
तेरा दोस्त है वह जो ख़ेरुलवरा ।
मुहम्मद नबी मालिके दोसरा ।
कहाँ वस्फ़[२]हो मुझ से उसका अदा ।
व लेकिन है मेरी यही इल्तिजा[३] ।
ज़बाँ ताबुवद दर दहाँ जाए गीर ।
सनाऐ मुहम्मद बुवद दिल पज़ीर[४]।
वह शाहे दो आलम अमीरे उमम ।
बने वास्ते जिसके लौहो-क़लम[५]।
सदा जिसके चूमें मलायक[६]क़दम ।
करूँ उसका रुतबा[७] मैं क्यूँकर रक़म[८] ।
हबीबे ख़ुदा अशरफ़ुल अंम्बिया ।
कि अर्शे मजीदश बुवद मुत्तक़ा[९] ।
अगर्चे यह पदा हुआ ख़ाक पर ।
गया ख़ाक से फिर वह इफ़लाक[१०]पर ।
मेरा जी फ़िदा उस तने पाक पर
तसद्दुक़[११] हूँ मैं उसके फ़ितराक[१२] पर ।
सवारे जहाँ गीर यकराँ बुराक़ ।
कि बगज़श्त अज़ करने नीली-ए-खाक़ ।[१३]