तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली अनुवाक-4  

  • भृगु द्वारा पुन: तपस्या करने पर उन्हें बोध हुआ कि 'मन' ही ब्रह्म है, किन्तु वरुण ऋषि ने उन्हें और तप करने के लिए कहा कि तप से ही 'तत्त्व' को जाना जा सकता है।
  • तप ही 'ब्रह्म' है।


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