छेड़ने का तो मज़ा तब है कहो और सुनो -इंशा अल्ला ख़ाँ  

छेड़ने का तो मज़ा तब है कहो और सुनो -इंशा अल्ला ख़ाँ
कवि इंशा अल्ला ख़ाँ
जन्म 1756 ई.
जन्म स्थान दिल्ली
मृत्यु 1817 ई.
मुख्य रचनाएँ 'उर्दू गज़लों का दीवाना', 'दीवान रेख्ती', 'कसायद उर्दू-फ़ारसी', 'दीवाने फ़ारसी', 'मसनवी शिकारनामा' आदि
भाषा उर्दू, फ़ारसी, हिंदी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
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इंशा अल्ला ख़ाँ की रचनाएँ
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छेड़ने का तो मज़ा तब है कहो और सुनो
बात में तुम तो ख़फ़ा हो गये, लो और सुनो

तुम कहोगे जिसे कुछ, क्यूँ न कहेगा तुम को
छोड़ देवेगा भला, देख तो लो, और सुनो

यही इंसाफ़ है कुछ सोचो तो अपने दिल में
तुम तो सौ कह लो, मेरी एक न सुनो और सुनो

आफ़रीं तुम पे, यही चाहिए शाबाश तुम्हें
देख रोता मुझे यूँ हँसने लगो और सुनो

बात मेरी नहीं सुनते जो अकेले मिल कर
ऐसे ही ढँग से सुनाऊँ के सुनो और सुनो



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