खैर खुन खाँसी खुशी -रहीम  

खैर , खुन, खाँसी, खुशी, बैर, प्रीति, मद-पान ।
‘रहिमन’ दाबे ना दबै, जानत सकल जहान ॥

अर्थ

दुनिया जानती है कि ये चीजें दबाने से नहीं दबतीं, छिपाने से नहीं छिपतीं : खैर अर्थात् कुशल , खून (हत्या), खाँसी, खुशी बैर, प्रीति और मदिरा-पान।[१]


रहीम के दोहे

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. खैर कत्थे को भी कहते हैं, जिसका दाग कपड़े पर साफ दीख जाता है।

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