केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो  

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो
विवरण 'केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो' भारत सरकार की प्रमुख जाँच एजेन्सी है। यह आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जाँच करने के लिये लगायी जाती है।
स्थापना 1 अप्रॅल, 1963
आदर्श वाक्य उद्यमिता, निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा
मुख्यालय नई दिल्ली
संस्थापक डी. पी. कोहली
वर्तमान निदेशक अनिल कुमार सिन्हा
क्षेत्र 4 (दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई)
शाखा 52
अन्य जानकारी वर्ष 1965 से लेकर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को आर्थिक अपराधों और परंपरागत स्वरूप के महत्वपूर्ण अपराधों जैसे हत्या, अपहरण, आतंकवादी अपराध इत्यादि जैसे चुनिंदा मामलों की जांच का कार्य सौंपा गया।
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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (अंग्रेज़ी: Central Bureau of Investigation) अथवा 'सीबीआई' भारत सरकार की प्रमुख जाँच एजेन्सी है। यह आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जाँच करने के लिये लगायी जाती है। सीबीआई कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अधीन कार्य करती है। यद्यपि इसका संगठन फेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन से मिलता-जुलता है किन्तु इसके अधिकार एवं कार्य-क्षेत्र एफ़बीआई की तुलना में बहुत सीमित हैं। इसके अधिकार एवं कार्य दिल्ली विशेष पुलिस संस्थान अधिनियम, 1946 से परिभाषित हैं। भारत के लिये सीबीआई ही इन्टरपोल की आधिकारिक इकाई है।

इतिहास

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, जिसकी स्थापना वर्ष 1941 में भारत सरकार द्वारा विशेष पुलिस स्थापना (एसपीई) के तहत की गई थी, अपने गठन के उद्देश्य की ओर अग्रसर है। उस समय एसपीई का मुख्य कार्य दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भारत के युद्ध तथा आपूर्ति विभाग में लेन-देन में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच-पड़ताल करना था। एसपीई युद्ध विभाग के देख-रेख में था। यहां तक कि युद्ध के समाप्त होने तक की केन्द्रीय सरकार द्वारा कर्मचारियों से संबंधित रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने के लिए एक केन्द्रीय सरकार की जांच एजेंसी की ज़रूरत महसूस की गई थी। इसलिए, 1946 में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम को लागू किया गया। यह अधिनियम एसपीई के अधीक्षण को गृह विभाग को हस्तांतरित करता है और इसके कार्यों के परिधि को बढ़ाकर भारत सरकार के सभी विभागों को करता है। एसपीई का कार्यक्षेत्र सभी संघ शासित राज्यों को शामिल करता है और राज्य सरकार की सहमति से राज्य में इसे लागू किया जा सकता है।

जाँच का दायरा

डीएसपीई ने गृह मंत्रालय के दिनांक 1 अप्रॅल, 1963 के संकल्प के जरिए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के नाम से अपनी ख्याति प्राप्त की है। आरंभ में ऐसे अपराध जो केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों द्वारा केवल भ्रष्टाचार से संबंधित होते थे, केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित किए गए थे। आगे चलकर, बड़े पैमाने पर सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के बन जाने से इन उपक्रमों के कर्मचारियों को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के जांच दायरे में लाया गया। इसी प्रकार, 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण हो जाने पर सरकारी क्षेत्र के बैंकों और उनके कर्मचारियों को भी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के जांच के दायरे में लाया गया।

संस्थापक एवं निदेशक

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के संस्थापक एवं प्रथम निदेशक डी. पी. कोहली थे, जिन्होंने 1 अप्रॅल, 1963 से 31 मई, 1968 तक इसका कार्यभार संभाला। इससे पहले 1955 से 1963 तक वह विशेष पुलिस स्थापना के पुलिस महानिरीक्षक रहे। उससे भी पहले, उन्होंने मध्य भारत, उत्तर प्रदेश और भारत सरकार में पुलिस महकमें में विभिन्न जिम्मेदार पदों पर कार्य किया। वह एसपीई का कार्यभार संभालने से पहले मध्य भारत में पुलिस के प्रमुख रहे। डी. पी. कोहली को उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें 1967 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था। डी. पी. कोहली एक भावी द्रष्टाथे, जिन्होंने विशेष पुलिस स्थापना को एक राष्ट्रीय जांच एजेंसी के रूप में भावी ज़रूरत समझा। उन्होंने पुलिस महानिरीक्षक तथा निदेशक के पद पर रहते हुए संगठन को शक्तिशाली बनाया और उनके द्वारा बनायी गई मजबूत बुनियादों पर दशकों से संगठन आगे बढ़ रहा है, जो आज भी दृष्टिगोचर हो रहा है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के चौथे द्विवार्षिक संयुक्त सम्मेलन और राज्य के भ्रष्टाचार विरोधी अधिकारियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि “आम जनता आपसे आपकी क्षमता और निष्ठा दोनों में सर्वोच्च अपेक्षा करती है। इस विश्वास को बनाए रखा जाना है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो का मुख्य उद्देश्य परिश्रम, निष्पक्षता और ईमानदारी। यह सदैव आपके कार्य में आपका मार्गदर्शन करेंगे। सबसे पहले, हम जहां भी हों, किसी भी समय और किसी भी परिस्थिति में अपने कर्तव्य को निभाना है।“

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के निदेशक[१]
क्रमांक नाम कार्यकाल
1. डी. पी. कोहली 1 अप्रॅल, 1963 - 31 मई, 1968
2. एफ. वी. अरूल 31 मई 1968 - 6 मई 1971
3. डी. सेन 6 मई 1971 - 29 मार्च 1977
4. एस. एन. माथुर 29 मार्च 1977 - 2 मई 1977
5. सी. वी. नरसिम्हन 2 मई 1977 - 25 नवम्बर 1977
6. जॉन लोब 25 नवम्बर 1977 - 30 जून 1979
7. आर. डी. सिंह 30 जून 1979 - 24 जनवरी 1980
9. जे. एस. बावा 24 जनवरी 1980 - 28 फ़रवरी 1985
10. एम. जी. कातरे 28 फ़रवरी 1985 - 31 अक्टूबर 1989
11. ए. पी. मुखर्जी 31 अक्टूबर 1989 - 11 जनवरी 1990
12. आर. शेखर 11 जनवरी 1990 - 14 दिसम्बर 1990
13. विजय करन 14 दिसम्बर 1990 - 1 जून 1992
14. एस. के. दत्ता 1 जून 1992 - 31 जुलाई 1993
15. के. विजय रामा राव 31 जुलाई 1993 - 31 जुलाई 1996
16. जोगिंदर सिंह 31 जुलाई 1996 - 30 जून 1997
17. आर. सी. शर्मा 30 जून 1997 - 31 जनवरी 1998
18. डी. आर. कार्तिकेयन (प्रभारी) 31 जनवरी 1998 - 31 मार्च 1998
19. डॉ. टी. एन. मिश्रा (प्रभारी) 31 मार्च 1998 - 4 जनवरी 1999
20. डॉ. आर. के. राघवन 4 जनवरी 1999 - 30 अप्रॅल 2001
21. पी. सी. शर्मा 30 अप्रॅल 2001 - 6 दिसम्बर 2003
22. यू. एस. मिश्रा 6 दिसम्बर 2003 - 6 दिसम्बर 2005
23. विजय शंकर 12 दिसम्बर 2005 - 31 जुलाई 2008
24. अश्विनी कुमार 2 अगस्त 2008 - 30 नवम्बर 2010
25. ए. पी. सिंह 30 नवम्बर, 2010 - 30 नवम्बर, 2012
26. अनिल कुमार सिन्हा 1 दिसम्बर, 2012 से अब तक

राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी के रूप में उभरना

वर्ष 1965 से लेकर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को आर्थिक अपराधों और परंपरागत स्वरूप के महत्वपूर्ण अपराधों जैसे हत्या, अपहरण, आतंकवादी अपराध इत्यादि जैसे चुनिंदा मामलों की जांच का कार्य सौंपा गया। एसपीई के आरंभ में दो विंग थे। इनमें एक सामान्य अपराध विंग (जी.ओ.डब्ल्यू.) और दूसरा आर्थिक अपराध विंग था। सामान्य अपराध विंग केन्द्रीय सरकार और सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारियों जो रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त थे, उनकी जांच करना था और आर्थिक अपराध विंग आर्थिक/राजकोषीय नियमों के उल्लंघन के विभिन्न मामलों की जांच करना था। इस व्यवस्था के तहत सामान्य अपराध विंग की प्रत्येक राज्य में कम-से-कम एक शाखा थी और अपराध विंग की दिल्ली, मद्रास (अब चेन्नई), बंबई (अब मुम्बई) और कलकत्ता (अब कोलकाता) अर्थात् चारों महानगरों में शाखा थी। आर्थिक अपराध शाखा, ब्रांचों का कार्य क्षेत्रों अर्थात् प्रत्येक ब्रांच को जो बहुत सारे राज्यों को अपने कार्यक्षेत्र में रखे हुए थे, को रिपोर्ट करना था।

भूमिका में विस्तार

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के रूप में वर्षों से इसने निष्पक्षता और सक्षमता में ख्याति स्थापित की है। हत्या, अपहरण, आतंकवादी अपराध इत्यादि जैसे परंपरागत अपराधों के मामलों की जांच करने की मांग उठने लगी। इसके अलावा, देश के सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों ने भी पीड़ित पार्टियों द्वारा दर्ज की गई अर्जियों पर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा जांच करने के लिए विश्वास व्यक्त किया। इस श्रेणी के तहत दर्ज की गई विभिन्न अर्जियों को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा इन पर जांच की जाती रही है और यह पाया गया है कि स्थानीय स्तर पर शाखा होने पर मामलों का निपटारा जल्दी होता है। अत: वर्ष 1987 में यह निर्णय लिया गया था कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो में दो जांच प्रभागों अर्थात् भ्रष्टाचार निरोधक प्रभाग और विशेष अपराध प्रभाग का गठन किया जाए और बाद में आर्थिक अपराधों के साथ-साथ परंपरागत अपराधों की जांच की जाने लगी।

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के प्रभाग

भ्रष्टाचार निरोधक शाखा

भ्रष्टाचार निरोधक प्रभाग भ्रष्टाचार से संबंधित सूचना एकत्र करने, विभिन्न विभागों के साथ उनके सतर्कता अधिकारियों के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करने, भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी की शिकायतों की जांच करने, भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी से संबंधित अपराधों का अन्वेषण एवं अभियोजन तथा भ्रष्टाचार निरोधक पक्षों पर कार्य करने हेतु जिम्मेवार है। भ्रष्टाचार निरोधक प्रभाग केन्द्रीय सरकार के नियंत्रण में आने वाले लोक सेवकों, केन्द्रीय सरकार के नियंत्रण में आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लोक सेवकों तथा राज्य सरकारों द्वारा सीबीआई को सौंपे गए राज्य सरकार के अधीन कार्यरत लोक सेवकों के विरुद्ध मामलों और उपरोक्त उल्लिखित लोक सेवकों द्वारा किए गए गम्भीर अनियमितताओं का अन्वेषण करती है।

विशेष अपराध प्रभाग

सभी प्रकार के आर्थिक अपराधों एवं आंतरिक सुरक्षा, गुप्तचरी, अंतर्ध्वस, मादक पदार्थ एवं साइकोट्रोपिक पदार्थ, पुरावस्तु, हत्या, डकैती/चोरी, छल, आपराधिक न्यासभंग, कूटरचना, दहेज हत्या, संदेहास्पद मौत जैसे परम्परागत अपराधों एवं अन्य आईपीसी अपराधों के साथ-साथ डीएसपीई एक्ट के अंतर्गत अधिसूचित अन्य कानूनों के तहत किए गए अपराधों से संबंधित मामलों को विशेष अपराध प्रभाग संभालता है। यह अंतर्राज्यीय एवं अंतर्राष्ट्रीय रैकेटों, सरकारी राजस्व या सम्पत्ति को प्रभावित करने वाली वृहद पैमाने पर किए कपट तथा राष्ट्रीय महत्व के अपराधों के अन्वेषण हेतु जिम्मेदार है।

आर्थिक अपराध प्रभाग

आर्थिक अपराध प्रभाग बैंक कपट, काले धन को वैध बनाने, गैर-कानूनी मौद्रिक बाज़ार क्रियाकलापों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और बैंकों में रिश्वतखोरी जैसे वित्तीय अपराधों का अन्वेषण करती है।

तकनीकी सलाहकार एकक

तकनीकी सलाहकार एकक बैंकिंग, कराधान, अभियांत्रिकी एवं विदेश व्यापार/विदेश मुद्रा मामलों में सीबीआई के द्वारा लिए गए जांच एवं अन्वेषण में विशेषज्ञ मार्गदर्शन उपलब्ध कराती है। तकनीकी सलाहकार एकक हैं:-

  • बैंकिंग कम्पनी विधि/कराधान एकक
  • अभियांत्रिकी सलाहकार एकक (सिविल/विद्युत विषय)
  • कराधान सलाहकार एकक (प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष कर विषय)
  • विदेशी व्यापार / विदेशी मुद्रा सलाहकार एकक

अभियोजन निदेशालय

विनीत नारायण मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार अभियोजन निदेशालय का गठन किया गया। सीबीआई मामलों में अभियोजन संचालित करने के अलावा सीबीआई मामलों में विधिक सलाह प्रदान करती है। पुलिस महानिरीक्षकों/पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलनों में उठाए गए विधिक विषयों में, संबंधित मामलों में कानून की व्याख्या, विशेष काउंसेल की नियुक्ति, सांविधिक नियम एवं विनियमन तथा उनके संशोधनों, सीबीआई गजट में प्रकाशित होने वाले विधि मामले से संबंधित नोट की तैयारी में भी निदेशालय कार्य करती है।

नीति प्रभाग

सीबीआई की नीति, क्रियाविधि, संगठन, सतर्कता एवं सुरक्षा संबंधी सभी मामलों की देखभाल, मंत्रालयों से सम्पर्क एवं पत्राचार तथा सतर्कता एवं भ्रष्टाचार-निरोध से संबंधित विशेष कार्यक्रमों का क्रियान्वयन इत्यादि नीति प्रभाग करती है।

प्रशासन प्रभाग

सीबीआई के सभी प्रभागों के कार्मिकों, संगठन एवं लेखा से संबंधित सभी मामलों की देखभाल सीबीआई के प्रशासन प्रभाग के द्वारा किया जाता है जिसकी अध्यक्षता संयुक्त निदेशक/पुलिस महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी करते हैं।

सिस्टम प्रभाग

सिस्टम प्रभाग सीबीआई के सूचना प्रौद्योगिकी की ज़रूरतों की देखभाल करता है। यह संसदीय प्रश्नों के उत्तर, नियुक्तियों/पुरस्कारों हेतु सीबीआई क्लियरेंस इत्यादि से संबंधित आंकड़ों का रख-रखाव करता है। मौजूदा समय में चल रही सीबीआई की वृहद कम्प्यूटरीकरण योजना का कार्य भी इस प्रभाग की निगरानी में चल रहा है। सीबीआई कमान केन्द्र जिसमें रणनीति संचार केन्द्र और नेटवर्क निगरानी केन्द्र आते हैं, सिस्टम प्रभाग के अधीन कार्य करती हैं।

समन्वय प्रभाग

समन्वय प्रभाग में निम्नलिखित एकक सम्मिलित हैं:-

  • समन्वय एकक
  • इंटरपोल एकक

समन्वय एकक पुलिस महानिदेशकों, सीआईडी के संगठनों और अन्य सम्मेलनों में भाग लेती है और सीबीआई बुलेटिन के प्रकाशन का भी प्रभारी है। इंटरपोल एकक राष्ट्रीय केन्द्रीय ब्यूरो का सचिवालय है और निदेशक, सीबीआई को राष्ट्रीय केन्द्रीय ब्यूरो के अध्यक्ष होने के तौर पर उसकी सहायता करता है। इंटरपोल एकक राष्ट्रीय केन्द्रीय ब्यूरो के सचिवालय के रूप में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन-इंटरपोल के साथ सम्पर्क का कार्य करती है और इंटरपोल के सदस्य देशों के साथ सम्पर्क स्थापित करने का कार्य करती है। विदेशों में किए जाने वाले सीबीआई या राज्य पुलिस के मामलों के अन्वेषण हेतु यह अन्वेषण संबंधी निवेदनों के पत्राचारों की देखरेख और अनुवर्ती कार्रवाई करती है। इसी प्रकार बाहरी देशों से भारत में अन्वेषण हेतु निवेदनों को इंटरपोल एकक द्वारा राज्य पुलिसों को अग्रसारित कर दी जाती है और उस पर अनुवर्ती कार्रवाई भी की जाती है।

केन्द्रीय न्यायवैद्यक विज्ञान (फॉरेंसिक) प्रयोगशाला

केन्द्रीय न्यायवैद्यक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) अपराध अन्वेषण से संबंधित फॉरेंसिक विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञ राय प्रदान करती है। दिल्ली पुलिस और सीबीआई के अलावा यह आपराधिक मामलों में केन्द्रीय सरकार विभागों, राज्यों, राज्य फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं, रक्षा बलों, सरकारी उपक्रमों, विश्वविद्यालयों, बैंकों इत्यादि का सहयोग करती है। प्रयोगशाला में विशेष समस्याओं के समाधान हेतु एक शोध एवं विकास व्यवस्था भी है। सीएफएसएल में उपलब्ध विशेषज्ञों का सीबीआई, आईसीएफएस, पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों और विधि प्रवर्तन पाठ्यक्रम को संचालित करने वाले सरकारी विभागों के द्वारा संचालित शिक्षण तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी उपयोग किया जाता है। प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा फॉरेंसिक विश्लेषणों तथा इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को एकत्रित करने में सीएफएसएल के अधीन कार्यरत साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला एवं डिजिटल इमेजिंग केन्द्र सहायता करते हैं। सीएफएसएल के विशेषज्ञों को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने हेतु सम्मन किया जाता है। उनकी सेवा अन्वेषण एजेंसियों के द्वारा अपराध स्थल के निरीक्षण में भी उपयोग की जाती है।

प्रशिक्षण प्रभाग

ग़ाज़ियाबाद स्थित सीबीआई अकादमी एक आधुनिक प्रशिक्षण केन्द्र है जो एक आधुनिक अपराध अन्वेषक को बनाने हेतु विशेषीकृत ज्ञान एवं कौशल प्रदान करता है। नव-नियुक्त पुलिस उपाधीक्षकों, उप-निरीक्षकों एवं आरक्षकों के लिए आवासीय फाउंडेशन पाठ्यक्रम का संचालन किया जाता है। सीबीआई एवं राज्य पुलिस के अधिकारियों सहित विभिन्न विभागों के सतर्कता अधिकारियों को विशेषीकृत विषयों के पाठ्यक्रमों पर पुनश्चर्या पाठ ( रिफ्रेशर कोर्स) भी कराया जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो का संक्षिप्त इतिहास (हिन्दी) केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो। अभिगमन तिथि: 28 जनवरी, 2015।

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