कोटेश्वर मेला  

कोटेश्वर मेला मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में पायी जाने वाली गरासिया जनजति के मुख्य उत्सवों में से एक है।

  • विध्यांचल की पहाड़ियों के मध्य प्राकृतिक गुफा में स्थित भगवान कोटेश्वर महादेव धाम अति प्राचीन तीर्थ है जो लोगों की आस्था का केंद्र है।
  • यहाँ मान्य किंवदंती के अनुसार- भगवान श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मणि के हरण के दौरान अपने हाथों से शिवलिंग की स्थापना एवं संत सुकाल भारती की तपोभूमि के नाम से विख्यात इस तीर्थ का उल्लेख वेदों में भी मिलता है।
  • यहां प्रतिवर्ष जनपद पंचायत के तत्वावधान में ग्राम पंचायत जलोदखेता के सहयोग से पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। मालवांचल में मेले की शुरुआत इसी स्थान से होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं का समागम होता है।
  • आसपास के शहरों समेत अन्य प्रांतों से भी दुकानदार झूले, चकरी, मनिहारी, जूते, चप्पल, ऊनी, रेडिमेड वस्त्र की दुकानें लगाने यहां पहुंचते हैं। इसके अलावा केले और सिंघाडे की बिक्री ट्रकों से होती है।
  • कार्तिक पूर्णिमा पर कार्तिक माह में स्नान करने वाली महिलाएं मनोकामनाएं पूर्ण होने पर यहां पवित्र कुंडों में दीपदान करती हैं। जिसका अक्षम्य पुण्य प्राप्त होता है तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु कोटेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं।

इन्हें भी देखें: गरासिया, राजस्थान की जनजातियाँ एवं राजस्थान की संस्कृति


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