"प्रयोग:कविता बघेल 7" के अवतरणों में अंतर  

(पृष्ठ को खाली किया)
 

(२ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ३३ अवतरण नहीं दर्शाए गए)

पंक्ति १: पंक्ति १:
'''राम मोहन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ram Mohan'', जन्म: [[2 नवंबर]], [[1929]], [[अंबाला]]) हिंदी सिनेमा के चरित्र अभिनेता थे, जिन्हें हिंदी सिनेमा में कदम रखे छह दशकों से भी ज़्यादा का समय गुज़र चुका है। 84 साल के राममोहन आज भी शारीरिक और मानसिक तौर पर पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
 
==परिचय==
 
राम मोहन का जन्म 2 नवंबर, 1929 को अंबाला कैंट में हुआ था। इनके पिता डॉक्टर साधुराम शर्मा मूल रूप से जगाधरी के रहने वाले थे और अंबाला में अपना चिकित्सालय चलाते थे। राममोहन की माताजी श्रीमती योगमाया शर्मा गृहिणी थीं। ये उनकी इकलौती संतान थे, हालांकि पिता की पहली शादी से भी इनका एक बड़ा भाई और एक बड़ी बहन थे।
 
  
राम मोहन ने अंबाला के आर्या स्कूल से मैट्रिक शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद उसी स्कूल से जुड़े जी.एम.एन.कॉलेज से बी.ए. की परीक्षा देने के बाद ही ये [[मुंबई]] [[1949]] में चले गये। फ़िल्में देखने का उन्हें बेहद शौक़ था। राम मोहन के तीन बेटे और एक बेटी है। उनकी विवाहिता बेटी [[दिल्ली]] में रहती है और उनकी पत्नी, बड़ा और छोटा बेटा [[मुंबई]] में और मंझला बेटा [[अमेरिका]] में हैं। दोनों बड़े बेटों का अपना व्यवसाय है और छोटा बेटा एयर इंडिया में पायलट है।
 
==फ़िल्मी कॅरियर==
 
राममोहन के एक परिचित और अंबाला के ही रहने वाले महेश उप्पल [[मुंबई]] सेंट्रल के पास ही मौजूद 'फेमस आर्ट स्टूडियो' में चित्रकार की नौकरी करते थे और रहते भी स्टूडियो में ही थे। राममोहन ने क़रीब 2 महिने महेश उप्पल के साथ रहकर गुज़ारे। राममोहन के मुताबिक़ वो उस दौरान रोज़ाना आसपास के इलाक़ों दादर और महालक्ष्मी में मौजूद 'रंजीत मूवीटोन' और 'फ़ेमस स्टूडियो' जैसे फ़िल्म स्टूडियोज़ के चक्कर काटते थे। कभी कभार उन स्टूडियोज़ में घुसने के लिए दरबान को रिश्वत भी देनी पड़ती थी। 2 महिने बाद उन्हें महेश उप्पल का स्टूडियो छोड़ना पड़ा तो वो रहने के लिए विले पारले चले आए।
 
====अभिनय जीवन की शुरूआत====
 
राममोहन के अनुशार एक रोज़ किसी ने उन्हें जगदीश सेठी से मिलने की सलाह दी। जगदीश सेठी उस ज़माने के जानेमाने अभिनेता और निर्माता-निर्देशक थे। वो जगदीश सेठी के पैडर रोड स्थित घर पर जाकर उनसे मिले। जगदीश सेठी राममोहन से इतने प्रभावित हुए कि उस दिन के बाद वे उनके साथ-साथ नज़र आने लगा। कई फ़िल्मों में बेहद छोटी-छोटी भूमिकाओं से उनके अभिनय जीवन की शुरूआत हुई। जगदीश सेठी द्वारा निर्देशित फ़िल्म 'इंसान' में पहली बार उन्हें एक अच्छी भूमिका मिली"।
 
 
साल [[1952]] में बनी फ़िल्म 'इंसान' की मुख्य भूमिकाओं में [[पृथ्वीराज कपूर |पृथ्वीराज कपूर]], रागिनी और [[कमल कपूर]] थे। राममोहन भी इस फ़िल्म में एक छोटी सी भूमिका निभा रहे थे। राममोहन के मुताबिक, 'इस फ़िल्म के एक सीन में कमल कपूर को घुड़सवारी करनी थी, लेकिन घुड़सवारी उन्हें आती नहीं थी। उन्होंने मुझे अपनी परेशानी बताई और फिर जगदीश सेठी से स्क्रिप्ट में बदलाव करके घुड़सवारी मुझसे कराने का आग्रह किया। ये काम हालांकि मेरे लिए भी आसान नहीं था इसके बावजूद मैंने इसे चुनौती समझकर स्वीकार कर लिया। और थोड़ी बहुत कोशिशों के बाद मैं कामयाब भी हुआ। मेरे काम से जगदीश सेठी इतने ख़ुश हुए कि उन्होंने न सिर्फ़ फ़िल्म 'इंसान' में मेरी भूमिका बढ़ाई बल्कि वादा किया कि भविष्य में वो मुझे और भी बेहतर भूमिकाएं देंगे"। जगदीश सेठी ने अपना वादा निभाते हुए साल 1952 में ही बनी फ़िल्म 'जग्गू' में राममोहन को सहनायक की भूमिका दी। इस फ़िल्म की मुख्य भूमिकाओं में कमल कपूर और श्यामा थे।
 
==प्रमुख फ़िल्में==
 
राममोहन की फ़िल्म 'जग्गू' की कामयाबी के बाद उनके रास्ते आसान हो गये। अगले कुछ सालों में उन्होंने 'श्री चैतन्य महाप्रभु' (1953), 'पेंशनर' (1954), 'होटल', 'लाल-ए-यमन' (दोनों 1956), 'देवर भाभी', 'मिस 58', 'नाईट क्लब', 'राजसिंहासन' (सभी 1958), 'भगवान और शैतान', 'चाचा ज़िंदाबा', 'दो बहनें', 'टीपू सुल्तान' (सभी 1959), 'अंगुलिमाल', 'बहादुर लुटेरा', 'चोरों की बारात', 'काला आदमी' और 'मिस्टर सुपरमैन की वापसी' (सभी 1960) जैसी फ़िल्मों में अहम भूमिकाएं निभायीं।     
 
;खलनायक के रूप में
 
राममोहन को नायक या सहनायक के रूप में ज़्यादा मौक़े नहीं मिल पाए लेकिन बहुत जल्द वो खलनायक और आगे चलकर चरित्र अभिनेता के तौर पर पहचाने जाने लगे। 60 सालों के अपने करियर के दौरान राममोहन ने 'हरियाली और रास्ता',  'मेरे हुज़ूर', 'तक़दीर', 'शोर', 'किताब', 'जियो तो ऐसे जियो', 'अंगूर', 'सावन को आने दो', 'शान', 'नदिया के पार', 'बंटवारा', 'ग़ुलामी', 'रंगीला' और 'कोयला' सहित क़रीब 240 फ़िल्मों में अभिनय किया।
 
;टेलिविज़न धारावाहिक
 
राममोहन ने 'मिर्ज़ा ग़ालिब', 'तारा', 'शतरंज', 'संसार', 'बहादुर शाह ज़फ़र', 'ये दिल्ली है' और 'महाभारत' जैसे 15 टेलिविज़न धारावाहिकों में अभिनय किया। इसके साथ ही 4 साल 'सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन' के उपाध्यक्ष और 6 साल महासचिव पद पर रहने के अलावा वो सिनेमा से जुड़े लोगों के हित में कार्यरत विभिन्न एसोसिएशनों में भी सक्रिय रहे।
 

१२:०९, २९ सितम्बर २०१७ के समय का अवतरण

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=प्रयोग:कविता_बघेल_7&oldid=608485" से लिया गया