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साँचा:भगवतीचरण वर्मा की रचनाएँ
कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें -भगवतीचरण वर्मा
तुम सुधि बन-बनकर बार-बार -भगवतीचरण वर्मा
अज्ञात देश से आना -भगवतीचरण वर्मा
बसन्तोत्सव -भगवतीचरण वर्मा
तुम अपनी हो, जग अपना है -भगवतीचरण वर्मा
मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम -भगवतीचरण वर्मा
आज मानव का -भगवतीचरण वर्मा
देखो-सोचो-समझो -भगवतीचरण वर्मा
बस इतना--अब चलना होगा -भगवतीचरण वर्मा
आज मानव का सुनहला प्रात है -भगवतीचरण वर्मा
मैं कब से ढूँढ़ रहा हूँ -भगवतीचरण वर्मा
आज शाम है बहुत उदास -भगवतीचरण वर्मा
स्मृतिकण -भगवतीचरण वर्मा
मानव -भगवतीचरण वर्मा
संकोच-भार को सह न सका -भगवतीचरण वर्मा
हम दीवानों की क्या हस्ती -भगवतीचरण वर्मा
कल सहसा यह सन्देश मिला -भगवतीचरण वर्मा
तुम मृगनयनी -भगवतीचरण वर्मा
पतझड़ के पीले पत्तों ने -भगवतीचरण वर्मा
श्रेणी
:
भगवतीचरण वर्मा