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साँचा:अमीर ख़ुसरो की रचनाएँ
ऐ री सखी मोरे पिया घर आए -अमीर ख़ुसरो
परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना -अमीर ख़ुसरो
मेरे महबूब के घर रंग है री -अमीर ख़ुसरो
छाप तिलक सब छीन्हीं रे -अमीर ख़ुसरो
बहुत कठिन है डगर पनघट की -अमीर ख़ुसरो
आ घिर आई दई मारी घटा कारी। -अमीर ख़ुसरो
ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल -अमीर ख़ुसरो
दैया री मोहे भिजोया री शाह निजम के रंग में। -अमीर ख़ुसरो
सकल बन फूल रही सरसों -अमीर ख़ुसरो
तोरी सूरत के बलिहारी, निजाम -अमीर ख़ुसरो
अम्मा मेरे बाबा को भेजो री -अमीर ख़ुसरो
बहोत रही बाबुल घर दुल्हन -अमीर ख़ुसरो
दुसुख़ने -अमीर ख़ुसरो
जब यार देखा नैन भर -अमीर ख़ुसरो
मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल -अमीर ख़ुसरो
ढकोसले या अनमेलियाँ -अमीर ख़ुसरो
जो पिया आवन कह गए अजहुँ न आए -अमीर ख़ुसरो
बहुत दिन बीते पिया को देखे -अमीर ख़ुसरो
काहे को ब्याहे बिदेस -अमीर ख़ुसरो
हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल -अमीर ख़ुसरो
जो मैं जानती बिसरत हैं सैय्या -अमीर ख़ुसरो
सूफ़ी दोहे -अमीर ख़ुसरो
दोहे -अमीर ख़ुसरो
श्रेणी
:
अमीर ख़ुसरो