सहयात्रियों के साथ -राजेश जोशी  

सहयात्रियों के साथ -राजेश जोशी
कवि राजेश जोशी
जन्म 18 जुलाई, 1946
जन्म स्थान नरसिंहगढ़, मध्य प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'समरगाथा- एक लम्बी कविता', एक दिन बोलेंगे पेड़, मिट्टी का चेहरा, दो पंक्तियों के बीच, पतलून पहना आदमी धरती का कल्पतरु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
राजेश जोशी की रचनाएँ

सहयात्रियों के साथ
बढ़ता था उस दिशा में जहाँ
सड़क अंतत:एक स्वप्न बन जाती है,
एक अनिश्चित अफ़वाह
या फिर एक अस्फुट,अर्थहीन मंत्र

देवताओं को तलाशता था
पेड़ों के तनों और
सूखी झाड़ियों के भीतर
पुरानी रंगीन थिगलियों को
हाथों में उठाए अचरज से सोचता
उनके निहितार्थ क्या रहे होंगे?

लकड़ी के प्राचीन बक्सों को खोलकर
कोई किवाड़,कोई कुंडी ढूँढता था
जहाँ किसी ने
सृष्टि के आरम्भ से अब तक
दस्तक न दी हो

एक कच्चा-सा विश्वास था मेरे भीतर
कि पुरानी पांडुलिपियों के नीचे
अवश्य दबा रहता होगा
किसी गुप्त सुरंग का प्रवेश द्वार
जहाँ से नदियों तक पहुँचा जा सकता हो

समय के प्रारम्भ में
लिखकर रख दिया था उन्हें
लगभग हर प्रवेश द्वार के आगे
उन्हें कोई छूता नहीं था
वे समय के अंत तक वहाँ रहीं
वृद्ध द्वारपालों की तरह

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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