समय-लाभ सम लाभ नहिं -रहीम  

समय-लाभ सम लाभ नहिं , समय-चूक सम चूक ।
चतुरन चित ‘रहिमन’ लगी , समय चूक की हूक ॥

अर्थ

समय पर अगर कुछ बना लिया, तो उससे बड़ा और कौन-सा लाभ है? और समय पर चूक गये तो चूक ही हाथ लगती है। बुद्धिमानों के मन में समय की चूक सदा कसकती रहती है।


रहीम के दोहे

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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