त्रिपुरा पर्यटन
त्रिपुरा हर दृष्टि से पर्यटन के लिए उपयुक्त राज्य है। त्रिपुरा में अनेक स्थल हैं। यहाँ देखने तथा घूमने-फिरने के लिए कई स्थान एवं स्थल हैं। राज्य संस्कृति की दृष्टि से भी संपन्न है। यह राज्य पूर्वोत्तर राज्यों के मुकाबले पर्यटन की अधिक संभावनाओं से पूर्ण है। यहां पूर्वोत्तर के राज्यों के अलावा बांग्लादेश जाने वाले पर्यटक भी आकर्षित होते हैं। होटल उद्योग के विकास के साथ ही यहां पर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। मई 1995 में देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र अनुमति-पत्र की समाप्ति के बाद 1996 में यहाँ लगभग दो लाख पर्यटक आए। राज्य में और अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता है। कोलकाता व गुवाहाटी से राजधानी अगरतला तक वायुमार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है। खोवाल, कमालपुर और कैलाशहर तीन छोटे हवाई अड्डे हैं।
- विकास की संभावनाएं
पर्यटकों के आकर्षण के साथ ही राज्य में इसके विकास की भारी संभावनाएं हैं। 10,491.69 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के साथ यह देश के सबसे छोटे राज्यो मे से एक है। लेकिन अपने प्राचीन इतिहास, सौंदर्य, पर्वतीय इलाकों की सुंदरता, हरियाली, संस्कृति, रहन सहन एवं परिवेश तथा अच्छे मौसम की वजह से इसे पर्यटन में ख़ासा लाभ हो सकता है। पर्यटकों की सुविधा के लिए राज्य को दो पर्यटक इकाईयों में बांटा गया है। पहला है पश्चिम-दक्षिण त्रिपुरा तथा दूसरा है पश्चिमोत्तर क्षेत्र, जो धलाई ज़िले तक है। पूरे राज्य में पर्यटन की अपार संभावना है, ख़ासकर ईको-पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, हेरिटेज पर्यटन, पर्वतीय पर्यटन तथा ग्रामीण पर्यटन।
- परिवहन
यह राज्य गुवाहाटी से रेलमार्ग द्वारा भी जुड़ा है। नज़दीकी रेलशीर्ष कुमारघाट में है। यह अगरतला से जुड़ा है, जो यहाँ से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। शिलांग होकर गुज़रते राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से गुवाहाटी से अगरतला तक 24 घंटे में बस द्वारा पहुँचा जा सकता है। इस मार्ग पर निजी एवं सार्वजनिक आरामदायक बसें उपलब्ध हैं। इसके अलावा, असम में सिल्चर तक वायु या सड़क मार्ग द्वारा पहुँचने के बाद सड़क मार्ग द्वारा अगरतला पहुँचा जा सकता है। विदेशी पर्यटक अखौरा सीमा नियंत्रण चौकी से होते हुए बांग्लादेश से भी अगरतला पहुँच सकते हैं। ढाका से अगरतला तक की सड़क यात्रा लगभग तीन घंटे की है।
- महल
यहाँ के पर्यटन स्थलों में अगरतला स्थित उज्जयंत महल, कुंजबन महल/ रबींद्र कानन और मालंचा निवास शामिल हैं। अगरतला से 55 किलोमीटर दूर नीरमहल/रुद्रसागर झील व 178 किलोमीटर की दूरी पर उनाकोटी शैल शिल्प है, जो कैलाशहर से आठ किलोमीटर दूर है। अगरतला में अशोकाष्टमी मेला हर साल अप्रॅल महीने में लगता है।
- अभयारण्य
अगरतला से 75 किलोमीटर दूर गुमटी (गोमती नदी) के किनारे उदयपुर और अमरपुर के बीच स्थित देवतामुरा शैल प्रतिमाएँ/ चाब्लमुरा एक अन्य पर्यटक स्थल है। गुमटी नदी के दाएँ किनारे पर उदयपुर में भुवनेश्वरी मंदिर है, जहाँ रबींद्रनाथ टैगोर ने बिसर्जन और राजर्षि की रचना की थी। अगरतला से 25 किलोमीटर की दूरी पर सेपाहीजाला वन्यजीव अभयारण्य है, इसमें लगभग 150 प्रजातियों के पक्षी और चश्मे के जैसे निशान वाले विख्यात बंदर पाए जाते हैं।
तृष्णा वन्यजीव अभयारण्य अगरतला से लगभग 100 किलोमीटर दूर दक्षिण त्रिपुरा ज़िले में स्थित है। अगरतला से 27 किलोमीटर की दूरी पर कमलासागर झील और लगभग 200 किलोमीटर दूर मिज़ोरम की सीमा के पास जमपुई पर्वत है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 914 मीटर है। त्रिपुरा की सबसे ऊँची चोटी बेतलोंगछिप यहीं स्थित है।
- सरकारी आवास
पर्यटन की दृष्टि से सभी महत्त्वपूर्ण स्थानों पर सरकारी आवास उपलब्ध है। साथ ही निजी होटल और अतिथिगृह भी हैं, लेकिन ये अधिकांशतः अगरतला में स्थित हैं। राज्य के पर्यटन विभाग ने कई पर्यटन परिपथों की पहचान की है, जिनमें से अधिकांश कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) और राज्य की राजधानी से शुरू होते हैं। 1987 में पर्यटन को यहाँ उद्योग घोषित किया गया और राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार के प्रोत्साहन देती है।
पर्यटन स्थल
- अगरतला
- कमलासागर झील
- सेफाजाला
- नीरमहल
- उदयपुर
- पिलक
- महामुनि
- वेस्ट - नॉर्थ त्रिपुरा
- दुम्बूर झील
- उनोकोटि
- जामपुई हिल
- उज्जयंत महल
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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