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त्रिकल
अर्थ
तीन कलाओं या मात्राओंवाला। तीन मात्राओं का शब्द। प्लुत, दोहे का एक भेद जिसमें 9 गुरु + 30 लघु = कुल 39
अक्षर
होते हैं, जिनकी कुल मात्राएँ 9 x 2 = 18 + 30 = 48 होती हैं।
व्याकरण
(
संस्कृत
त्रि
~
कला) पुंलिङ्ग (छन्दशास्त्र)
उदाहरण
अति अपात जो सरितवर, जो नृप सेतु कराहिं । चढि पिपीलिका परम लघु, बिन श्रम पारहि जाहिं ।—
तुलसीदास
विशेष
इसके तीन भेद हैं- Iऽ, ऽI, III
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