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चैतन्य शतक  

चैतन्य शतक की रचना पंडित सार्वभौम भट्टाचार्य द्वारा की गई थी। सार्वभौम भट्टाचार्य ने 'गौरांग' (चैतन्य महाप्रभु) की शत-श्लोकी स्तुति रची थी, जिसे आज 'चैतन्य शतक' के नाम से जाना जाता है।


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