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कहु रहीम कैतिक रही -रहीम  

कहु ‘रहीम’ कैतिक रही, कैतिक गई बिहाय ।
माया ममता मोह परि, अन्त चले पछीताय ॥

अर्थ

आयु अब कितनी रह गयी है, कितनी बीत गई है। अब तो चेत जा। माया में, ममता में और मोह में फँसकर अन्त में फछतावा ही साथ लेकर तू जायगा ।


रहीम के दोहे

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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